शिव जी की आरती (Shiv Ji Ki Aarti) सनातन धर्म में संहार के देवता शिव की स्तुति है। इसकी रचना पंडित श्रद्धाराम शर्मा ने की थी। वास्तव में यह आरती त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, एवं शिव) की एकरूप स्तुति है। यहां यह बताया गया है कि ॐ में तीनों का रूप एक ही है।
Shiv Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi
ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे
स्वामी पञ्चानन राजे
हंसासन गरूड़ासन
हंसासन गरूड़ासन, वृषवाहन साजे
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
दो भुज चार चतुर्भुज, दसभुज ते सोहे
स्वामी दसभुज ते सोहे
तीनों रूप निरखता
तीनों रूप निरखता, त्रिभुवन मन मोहे
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी
स्वामी मुण्डमाला धारी
चन्दन मृगमद चंदा
चन्दन मृगमद चंदा, भोले शुभ कारी
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
श्वेताम्बर, पीताम्बर, बाघाम्बर अंगे
स्वामी बाघाम्बर अंगे
ब्रह्मादिक संतादिक
ब्रह्मादिक संतादिक, भूतादिक संगे
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
कर मध्ये च’कमण्ड चक्र त्रिशूलधरता
स्वामी चक्र त्रिशूलधरता
जग कर्ता जग हरता
जग कर्ता जग हरता, जगपालन करता
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव जानत अविवेका
स्वामी जानत अविवेका
प्रनाबाच्क्षर के मध्ये
प्रनाबाच्क्षर के मध्ये, ये तीनों एका
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ जन गावे
स्वामी जो कोइ जन गावे
केहत शिवानन्द स्वामी
केहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
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