श्री विष्णु षोडश नाम स्तोत्रम् (Sri Vishnu Shodasa Nama Stotram), भगवान विष्णु के सोलह नामों से मिलकर बना है। भगवान विष्णु के सोलह पवित्र नामों का जाप उनके सभी भक्तों द्वारा हर सुबह अत्यधिक विश्वास के साथ किया जाता है।
दिन के दौरान किए गए प्रत्येक कार्य के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है और प्रत्येक कार्य के लिए उनके नाम को याद किया जाता है जो एक सामान्य दिन होता है।
Sri Vishnu Shodasa Nama Stotram Lyrics in Hindi (अर्थ सहित)
औषधे चिन्तयेद्विष्णुं भोजने च जनार्दनम्।
शयने पद्मनाभं च विवाहे च प्रजापतिम्॥१॥
अर्थ : औषधि लेते समय श्रीविष्णु (जो सृष्टि का भरण, पोषण और पालन करने वाले हैं) का स्मरण करें, भोजन करते समय जनार्दन (लोगों के कष्ट हरने वाले श्रीकृष्ण) का स्मरण करें। सोते समय पद्मनाभ (जिनकी नाभि में कमल है) का स्मरण करें, विवाह के समय प्रजापति (सृष्टि को उत्पन्न करने वाले) का स्मरण करें।
युद्धे चक्रधरं देवं प्रवासे च त्रिविक्रमम्।
नारायणं तनुत्यागे श्रीधरं प्रियसङ्गमे॥२॥
अर्थ : युद्ध के समय चक्रधारी श्रीविष्णु का स्मरण करें, प्रवास (यात्रा) में त्रिविक्रम (तीन कदमों से सारे विश्र्व को अतिक्रमण करने वाले) का स्मरण करें। मृत्यु के समय नारायण (जल जिसका प्रथम अयन या अधिष्ठान है) का स्मरण करें, पतिपत्नी के समागम पर श्रीधर (देवी लक्ष्मी के पति) का स्मरण करें ।
दुस्स्वप्ने स्मर गोविन्दं सङ्कटे मधुसूदनम्।
कानने नारसिंहं च पावके जलशायिनम्॥३॥
अर्थ : बुरे स्वप्न आते हों तो गोविंद का स्मरण करें, संकट में मधुसूदन (मधु नामक दैत्य को मारने वाले, श्रीकृष्ण) का स्मरण करें। जंगल में संकट के समय भगवान नृसिंह का स्मरण करें, अग्नि संकट के समय जलाशयी (भगवान विष्णु, जो समुद्र में वास करते हैं) का स्मरण करें ।
जलमध्ये वराहं च पर्वते रघुनन्दनम्।
गमने वामनं चैव सर्वकालेषु माधवम्॥४॥
अर्थ : पानी में डूबने का भय हो तो वराह (श्रीविष्णु के सूअर का अवतार) का स्मरण करें, पर्वत पर संकट के समय रघुनंदन (श्रीविष्णु के श्रीराम अवतार) का स्मरण करें। गमन करते समय वामन (श्रीविष्णु का बौना अवतार) का स्मरण करें, कोई भी कार्य करते समय माधव (शहद के समान मीठा) का स्मरण करें ।
षोडशैतानि नामानि प्रातरूत्थाय यः पठेत्।
सर्वपापविनिर्मुक्तो विष्णुलोके महीयते॥५॥
अर्थ : जो हर सुबह भोर (सूर्योदय से पहले का समय) के समय भगवान विष्णु के इन सोलह पवित्र नामों का पाठ करता है, वह अपने सभी पापों से मुक्त हो जाएगा, और जब वह शरीर का त्याग करेगा, वह वैकुंठ लोक (सर्वोच्च लोक) प्राप्त करेगा।
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